मोबाइल चार्जिंग के 5 नायाब तरीके, कर देंगे दंग
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मोबाइल फोन उपभोक्तओं की संख्या मार्च, 2014 तक 93.3 करोड़ का आकड़ा पार कर चुकी थी। चीन के बाद भारत दुनिया में मोबाइल फोन का सबसे बड़ा बाजार है और यहां हर साल लगभग दो करोड़ मोबाइल फोन बेचे जाते हैं। इतनी बड़ी संख्या में मौजूद मोबाइल फोन को हर दिन चार्ज करने के लिए बिजली की भी अतिरिक्त जरूरत हो रही है। ऐसे में आने वाले समय में हमें मोबाइल फोन को चार्जिंग के नए विकल्प तलाशने पड़ सकते हैं। वैज्ञानिक टेक्नोलॉजी को आसान और उपयोगी बनाने के लिए लगातार नई-नई शोध कर रहे हैं। दुनिया भर में हर दिन कई अविष्कार होते हैं। हम यहां ऐसे ही पांच नायाब मोबाइल चार्जिंग के तरीकों के बारे में बात कर रहे हैं जो भविष्य में काफी कारगर साबित हो सकते हैं। इनके बारे में आप सुनेंगे, तो दांतों तले अंगुली दबाए बिना नहीं रह पाएंगे।
महज 30 सेकंड में चार्ज होगा स्मार्टफोन
इसराइली कंपनी स्टोरडॉट ने एक ऐसी तकनीक तैयार की है जिसके जरिए आपका स्मार्टफोन चंद सेकंड में पूरी तरह चार्ज हो जाएगा।
स्टोरडॉट ने एक बैटरी चार्जिंग प्रोटोटाइप पेश किया है जिससे सैमसंग गैलेक्सी एस4 स्मार्टफोन को महज 30 सेकंड में पूरी तरह चार्ज करके दिखाया गया है। इस तरह की तकनीक के जरिए रिचार्जेबल बैटरी से चलने वाले छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की दुनिया बदल सकती है। स्टोरडॉट ने नैनो डॉट के जरिए ये बैटरी बनाई है। ये डॉट दरअसल एक तरह के जैविक पेप्टाइड अणुओं से बने हैं जो इलेक्ट्रोड की चार्जिंग क्षमता को बढ़ा देते हैं। इसी कारण से घंटों में चार्ज होने वाली बैटरी महज 30 सेकंड में चार्ज हो जाती है। ये तकनीक फिलहाल अभी सिर्फ सैमसंग के कुछ चुनिंदा हैंडसेट के साथ काम करती है लेकिन जल्द ही ऐसी तकनीक को अन्य स्मार्टफोन के लिए भी तैयार किया जाएगा।
पानी का कतरा
अगर कहा जाए कि हवा की नमी से स्मार्टफोन
चार्ज किया जा सकता है, तो शायद यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो। लेकिन वैज्ञानिकों ने इसको संभव करने की कोशिश की है। आने वाले समय में ऐसा मुमकिन हो सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि उच्च स्तर के रिपेलिंग सर्फेस पर गिरने वाली बूंदों का इस्तेमाल बिजली बनाने में किया जा सकता है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बिजली से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज किया जा सकता है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी की बूंदे जब सुपरहाइड्रोफोबिक सर्फेस से उछलती हैं तब इस प्रक्रिया के दौरान इलेक्ट्रिक चार्ज उत्पन्न होता है। इस प्रक्रिया में छोटी मात्रा में बिजली भी उत्पन्न की जा सकती है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने में किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के जरिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने के अलावा साफ पानी भी निकाला जा सकता है।
पेशाब का ऐसा इस्तेमाल
यूरीन यानी पेशाब को स्मार्टफोन और टैबलेट चार्ज करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, है न दिलचस्प? इंग्लैंड में यूर्निवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल और ब्रिस्टल रोबोबिक लेबोरेट्रीज (BRL) शोधकर्ताओं ने एक ऐसी बैटरी बनाई है, जो बैक्टीरिया की मदद से यूरीन से बिजली बना सकती है। ऐसा नहीं है कि यूरीन से बिजली बनाने की तकनीक पहली बार सामने आई है। ब्रिटेन के ब्रिस्टॉल रोबेटिक्स लेबोरेट्री के शोधकर्ता पहले भी ‘यूरीन ट्राइसिटी’ प्रोजेक्ट के तहत यूरीट ट्राइसिटी के जरिए यूरीन को इलेक्ट्रिकल पावर में तब्दील करने का कारनामा कर चुके है। यूरीन-ट्राइसिटी प्रोजेक्ट का मकसद एनर्जी पैदा करने की ऐसी तकनीक विकसित करना है, जिसका इस्तेमाल रोजमर्रा की जिंदगी में लोग सहजता से कर सकें। वैज्ञानिक लोगों की उस आम धारणा को भी बदलना चाहते हैं, जिसमें सामान्य तौर पर यूरीन को महज अपशिष्ट के तौर पर ही देखा जाता है।
पसीना बहाइए बैटरी चार्ज कीजिए
स्मार्टफोन को चार्ज करने नया तरीका पसीने से मोबाइल चार्जिंग का है। जी हां, बहुत जल्द आप अपने स्मार्टफोन को पसीने से चार्ज कर सकेंगे। वैज्ञानिकों ने पहली बार फोन चार्ज करने के लिए एक नायाब तरीका खोजा है। जिसमें इंसान के पसीने इस बिजली पैदा की जा सकती है और इससे छोटी इलेक्ट्रनिक डिवाइस जैसे स्मार्टफोन व टैबलेट को चार्ज किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने टैटू की तरह एक ऐसा सेंसर डिजाइन किया है, जो एक साथ दो काम करता है। ये सेंसर एक्सरसाइज के दौरान व्यक्ति की क्षमता को मापता है, साथ ही, एनर्जी भी उत्पन्न करता है। लंदन के शोधकर्ताओं ने एक स्वेटपावर बॉयो बैटरी तैयारी की है। यह डिवाइस लैक्टिट एसिड से संपर्क में आकर प्रतिक्रिया देती है। लैक्टिट एसिड हमारे पसीने में मौजूद होती है। एक व्यक्ति ने इस प्रक्रिया के दौरान शरीर से 70 माइक्रोवाट प्रति सेमी2 पावर उत्पन्न की।
जूतों का कमाल
ह्यूसटन स्थित राइस यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जूतों की मदद से मोबाइल चार्ज करने की तकनीक विकसित की है। चलने के दौरान जूतों से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को एकत्रित करके इसका इस्तेमाल आईफोन चार्जिंग में किया है। पेडीपावर नाम के जूते गति से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को एकत्रित करके मोबाइल चार्जिंग के लिए एनर्जी तैयार करते हैं। इस बात का निष्कर्ष पहले ही निकाला जा चुका है किसी कि भी व्यक्ति की एड़ी(हील) पैर के किसी भी हिस्से से ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करती है।
महज 30 सेकंड में चार्ज होगा स्मार्टफोन
इसराइली कंपनी स्टोरडॉट ने एक ऐसी तकनीक तैयार की है जिसके जरिए आपका स्मार्टफोन चंद सेकंड में पूरी तरह चार्ज हो जाएगा।
स्टोरडॉट ने एक बैटरी चार्जिंग प्रोटोटाइप पेश किया है जिससे सैमसंग गैलेक्सी एस4 स्मार्टफोन को महज 30 सेकंड में पूरी तरह चार्ज करके दिखाया गया है। इस तरह की तकनीक के जरिए रिचार्जेबल बैटरी से चलने वाले छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की दुनिया बदल सकती है। स्टोरडॉट ने नैनो डॉट के जरिए ये बैटरी बनाई है। ये डॉट दरअसल एक तरह के जैविक पेप्टाइड अणुओं से बने हैं जो इलेक्ट्रोड की चार्जिंग क्षमता को बढ़ा देते हैं। इसी कारण से घंटों में चार्ज होने वाली बैटरी महज 30 सेकंड में चार्ज हो जाती है। ये तकनीक फिलहाल अभी सिर्फ सैमसंग के कुछ चुनिंदा हैंडसेट के साथ काम करती है लेकिन जल्द ही ऐसी तकनीक को अन्य स्मार्टफोन के लिए भी तैयार किया जाएगा।
पानी का कतरा
अगर कहा जाए कि हवा की नमी से स्मार्टफोन
चार्ज किया जा सकता है, तो शायद यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो। लेकिन वैज्ञानिकों ने इसको संभव करने की कोशिश की है। आने वाले समय में ऐसा मुमकिन हो सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि उच्च स्तर के रिपेलिंग सर्फेस पर गिरने वाली बूंदों का इस्तेमाल बिजली बनाने में किया जा सकता है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बिजली से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज किया जा सकता है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी की बूंदे जब सुपरहाइड्रोफोबिक सर्फेस से उछलती हैं तब इस प्रक्रिया के दौरान इलेक्ट्रिक चार्ज उत्पन्न होता है। इस प्रक्रिया में छोटी मात्रा में बिजली भी उत्पन्न की जा सकती है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने में किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के जरिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने के अलावा साफ पानी भी निकाला जा सकता है।
पेशाब का ऐसा इस्तेमाल
यूरीन यानी पेशाब को स्मार्टफोन और टैबलेट चार्ज करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, है न दिलचस्प? इंग्लैंड में यूर्निवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल और ब्रिस्टल रोबोबिक लेबोरेट्रीज (BRL) शोधकर्ताओं ने एक ऐसी बैटरी बनाई है, जो बैक्टीरिया की मदद से यूरीन से बिजली बना सकती है। ऐसा नहीं है कि यूरीन से बिजली बनाने की तकनीक पहली बार सामने आई है। ब्रिटेन के ब्रिस्टॉल रोबेटिक्स लेबोरेट्री के शोधकर्ता पहले भी ‘यूरीन ट्राइसिटी’ प्रोजेक्ट के तहत यूरीट ट्राइसिटी के जरिए यूरीन को इलेक्ट्रिकल पावर में तब्दील करने का कारनामा कर चुके है। यूरीन-ट्राइसिटी प्रोजेक्ट का मकसद एनर्जी पैदा करने की ऐसी तकनीक विकसित करना है, जिसका इस्तेमाल रोजमर्रा की जिंदगी में लोग सहजता से कर सकें। वैज्ञानिक लोगों की उस आम धारणा को भी बदलना चाहते हैं, जिसमें सामान्य तौर पर यूरीन को महज अपशिष्ट के तौर पर ही देखा जाता है।
पसीना बहाइए बैटरी चार्ज कीजिए
स्मार्टफोन को चार्ज करने नया तरीका पसीने से मोबाइल चार्जिंग का है। जी हां, बहुत जल्द आप अपने स्मार्टफोन को पसीने से चार्ज कर सकेंगे। वैज्ञानिकों ने पहली बार फोन चार्ज करने के लिए एक नायाब तरीका खोजा है। जिसमें इंसान के पसीने इस बिजली पैदा की जा सकती है और इससे छोटी इलेक्ट्रनिक डिवाइस जैसे स्मार्टफोन व टैबलेट को चार्ज किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने टैटू की तरह एक ऐसा सेंसर डिजाइन किया है, जो एक साथ दो काम करता है। ये सेंसर एक्सरसाइज के दौरान व्यक्ति की क्षमता को मापता है, साथ ही, एनर्जी भी उत्पन्न करता है। लंदन के शोधकर्ताओं ने एक स्वेटपावर बॉयो बैटरी तैयारी की है। यह डिवाइस लैक्टिट एसिड से संपर्क में आकर प्रतिक्रिया देती है। लैक्टिट एसिड हमारे पसीने में मौजूद होती है। एक व्यक्ति ने इस प्रक्रिया के दौरान शरीर से 70 माइक्रोवाट प्रति सेमी2 पावर उत्पन्न की।
जूतों का कमाल
ह्यूसटन स्थित राइस यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जूतों की मदद से मोबाइल चार्ज करने की तकनीक विकसित की है। चलने के दौरान जूतों से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को एकत्रित करके इसका इस्तेमाल आईफोन चार्जिंग में किया है। पेडीपावर नाम के जूते गति से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को एकत्रित करके मोबाइल चार्जिंग के लिए एनर्जी तैयार करते हैं। इस बात का निष्कर्ष पहले ही निकाला जा चुका है किसी कि भी व्यक्ति की एड़ी(हील) पैर के किसी भी हिस्से से ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करती है।
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