देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा
कुछ पल जगजीत सिंह के नाम
देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा,
खुद से न मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा,
उसका जो खत मिला तो मुझे सोचना पड़ा,
अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा,
मुझको था गुमान के मुझी में है एक अना,
देखा तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा,
दुनिया समझ रही थी के नाराज मुझसे है,
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा,
एक दिन वो मेरे एब गिनाने लगा करार,
जब खुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा,
कुछ पल जगजीत सिंह के नाम
देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा,
खुद से न मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा,
उसका जो खत मिला तो मुझे सोचना पड़ा,
अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा,
मुझको था गुमान के मुझी में है एक अना,
देखा तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा,
दुनिया समझ रही थी के नाराज मुझसे है,
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा,
एक दिन वो मेरे एब गिनाने लगा करार,
जब खुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा,