Saturday 16 May 2015

Veer Tum Badhe Chalo - वीर तुम बढ़े चलो

Veer Tum Badhe Chalo -वीर तुम बढ़े चलो
   
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
साथ में ध्वजा रहे
बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं
दल कभी रुके नहीं
सामने पहाड़ हो
सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर,हटो नहीं
तुम निडर,डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
प्रात हो कि रात हो
संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो
चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
एक ध्वज लिये हुए
एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये
पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
अन्न भूमि में भरा
वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो
रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
-द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी

सब याद आता है

सब याद आता है

वो मुड़कर हमें देखना,
वो हंसी का एक झोंका,
वो हमें छेड़ देना,
फिर प्यार से मना लेना,
सब याद आता है,
होठों पे मुस्कान दे जाता है.
वो तुम्हारी शैतानियां,
वो प्यारी सी ठिठोलियाँ,
वो हमें गले लगाना,
फिर हंसकर भाग जाना,
सब याद आता है,
होठों पे मुस्कान दे जाता है.
वो हाथ पकड़ना,
मोहब्बत आँखों में भरना,
वो आंसूं छलक जाना,
सब याद आता है,
होठों पे मुस्कान दे जाता है.
वो यादों का पालना,
वो खवाबों का घरोंदा,
वो बिस्तेर की सलवट,
वो नैनों का झरोका,
सब याद आता है,
होठों पे मुस्कान दे जाता है.

दुल्हन


दुल्हन

सेज पर बैठी एक दुल्हन,
पिया का इंतज़ार कर रही थी,
अब आयेगा पिया यह सोचकर,
मन ही मन मुस्कुरा रही थी,
आँखें झुकी मन में प्यार,
पलके झुकाए कर रही थी पिया का इंतज़ार.
इंतज़ार की घडी ख़तम हुयी,
उमंग के दरवाज़े खुले,
काश यह लम्हा यूँ ही थम जाता,
और सिर्फ तुम होते, और हम होते…..

। असली गरीब मैं हूँ या तुम?


Asli Garib Mai Hu Ya Tum ?

मै प्रखर आप सब के लिये लाया हूँ अपनी लिखी एक कविता का कुछ भाग । ये कविता उस स्थिति का वर्णन करती है जब एक गरीब इंसान को इतना सताया जाता है कुछ अमीरों द्वारा तो उसके मन में कई तरह के प्रश्न उठते हैं उसी को इसके माध्यम से दर्शाया है मैंने। कविता का शीर्षक है “असली गरीब मैं हूँ या तुम?” कैसी लगी ये बताना मत भूलिएगा।
असली गरीब मैं हूँ या तुम?
तुम तो तरसते हो चैन की नींद सोने को,
हमारा क्या है? हमारे पास क्या है खोने को?
हम जैसों का दिनभर खून पीते हो,
हमेशा चोर लफंगो से डर कर जीते हो।
तुम्हारे चेहरे से मासूमियत हो गई है बिल्कुल गुम,
अब बताओ असली गरीब मै हूँ या तुम?
एक बात बताओ जरा,
तुम हम पर क्यूँ इतना जुल्म ढ़ाते हो?
खुद गल्तियाँ करके ढ़ेरों ,
हमें उसमें क्यूँ फंसाते हो?
फिजूलखर्च करने को,
समझते हो अपनी शान।
जब आती है बारी हमें तनख्वाह देने की,
तो क्यूँ लेते हो सीना तान?
क्या इसमें भी मेरा ही है कोई जुर्म ?
अब बताओ असली गरीब मैं हूँ या तुम?

मोबाइल चार्जिंग के 5 तरीके


मोबाइल चार्जिंग के 5 नायाब तरीके, कर देंगे दंग

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मोबाइल फोन उपभोक्तओं की संख्या मार्च, 2014 तक 93.3 करोड़ का आकड़ा पार कर चुकी थी। चीन के बाद भारत दुनिया में मोबाइल फोन का सबसे बड़ा बाजार है और यहां हर साल लगभग दो करोड़ मोबाइल फोन बेचे जाते हैं। इतनी बड़ी संख्या में मौजूद मोबाइल फोन को हर दिन चार्ज करने के लिए बिजली की भी अतिरिक्त जरूरत हो रही है। ऐसे में आने वाले समय में हमें मोबाइल फोन को चार्जिंग के नए विकल्प तलाशने पड़ सकते हैं। वैज्ञानिक टेक्नोलॉजी को आसान और उपयोगी बनाने के लिए लगातार नई-नई शोध कर रहे हैं। दुनिया भर में हर दिन कई अविष्कार होते हैं। हम यहां ऐसे ही पांच नायाब मोबाइल चार्जिंग के तरीकों के बारे में बात कर रहे हैं जो भविष्य में काफी कारगर साबित हो सकते हैं। इनके बारे में आप सुनेंगे, तो दांतों तले अंगुली दबाए बिना नहीं रह पाएंगे।
महज 30 सेकंड में चार्ज होगा स्मार्टफोन
इसराइली कंपनी स्टोरडॉट ने एक ऐसी तकनीक तैयार की है जिसके जरिए आपका स्मार्टफोन चंद सेकंड में पूरी तरह चार्ज हो जाएगा।
स्टोरडॉट ने एक बैटरी चार्जिंग प्रोटोटाइप पेश किया है जिससे सैमसंग गैलेक्सी एस4 स्मार्टफोन को महज 30 सेकंड में पूरी तरह चार्ज करके दिखाया गया है। इस तरह की तकनीक के जरिए रिचार्जेबल बैटरी से चलने वाले छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की दुनिया बदल सकती है। स्टोरडॉट ने नैनो डॉट के जरिए ये बैटरी बनाई है। ये डॉट दरअसल एक तरह के जैविक पेप्टाइड अणुओं से बने हैं जो इलेक्ट्रोड की चार्जिंग क्षमता को बढ़ा देते हैं। इसी कारण से घंटों में चार्ज होने वाली बैटरी महज 30 सेकंड में चार्ज हो जाती है। ये तकनीक फिलहाल अभी सिर्फ सैमसंग के कुछ चुनिंदा हैंडसेट के साथ काम करती है लेकिन जल्द ही ऐसी तकनीक को अन्य स्मार्टफोन के लिए भी तैयार किया जाएगा।
पानी का कतरा
अगर कहा जाए कि हवा की नमी से स्मार्टफोन
चार्ज किया जा सकता है, तो शायद यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो। लेकिन वैज्ञानिकों ने इसको संभव करने की कोशिश की है। आने वाले समय में ऐसा मुमकिन हो सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि उच्च स्तर के रिपेलिंग सर्फेस पर गिरने वाली बूंदों का इस्तेमाल बिजली बनाने में किया जा सकता है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बिजली से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज किया जा सकता है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी की बूंदे जब सुपरहाइड्रोफोबिक सर्फेस से उछलती हैं तब इस प्रक्रिया के दौरान इलेक्ट्रिक चार्ज उत्पन्न होता है। इस प्रक्रिया में छोटी मात्रा में बिजली भी उत्पन्न की जा सकती है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने में किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के जरिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने के अलावा साफ पानी भी निकाला जा सकता है।
पेशाब का ऐसा इस्तेमाल
यूरीन यानी पेशाब को स्मार्टफोन और टैबलेट चार्ज करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, है न दिलचस्प? इंग्लैंड में यूर्निवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल और ब्रिस्टल रोबोबिक लेबोरेट्रीज (BRL) शोधकर्ताओं ने एक ऐसी बैटरी बनाई है, जो बैक्टीरिया की मदद से यूरीन से बिजली बना सकती है। ऐसा नहीं है कि यूरीन से बिजली बनाने की तकनीक पहली बार सामने आई है। ब्रिटेन के ब्रिस्टॉल रोबेटिक्स लेबोरेट्री के शोधकर्ता पहले भी ‘यूरीन ट्राइसिटी’ प्रोजेक्ट के तहत यूरीट ट्राइसिटी के जरिए यूरीन को इलेक्ट्रिकल पावर में तब्दील करने का कारनामा कर चुके है। यूरीन-ट्राइसिटी प्रोजेक्ट का मकसद एनर्जी पैदा करने की ऐसी तकनीक विकसित करना है, जिसका इस्तेमाल रोजमर्रा की जिंदगी में लोग सहजता से कर सकें। वैज्ञानिक लोगों की उस आम धारणा को भी बदलना चाहते हैं, जिसमें सामान्य तौर पर यूरीन को महज अपशिष्ट के तौर पर ही देखा जाता है।
पसीना बहाइए बैटरी चार्ज कीजिए
स्मार्टफोन को चार्ज करने नया तरीका पसीने से मोबाइल चार्जिंग का है। जी हां, बहुत जल्द आप अपने स्मार्टफोन को पसीने से चार्ज कर सकेंगे। वैज्ञानिकों ने पहली बार फोन चार्ज करने के लिए एक नायाब तरीका खोजा है। जिसमें इंसान के पसीने इस बिजली पैदा की जा सकती है और इससे छोटी इलेक्ट्रनिक डिवाइस जैसे स्मार्टफोन व टैबलेट को चार्ज किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने टैटू की तरह एक ऐसा सेंसर डिजाइन किया है, जो एक साथ दो काम करता है। ये सेंसर एक्सरसाइज के दौरान व्यक्ति की क्षमता को मापता है, साथ ही, एनर्जी भी उत्पन्न करता है। लंदन के शोधकर्ताओं ने एक स्वेटपावर बॉयो बैटरी तैयारी की है। यह डिवाइस लैक्टिट एसिड से संपर्क में आकर प्रतिक्रिया देती है। लैक्टिट एसिड हमारे पसीने में मौजूद होती है। एक व्यक्ति ने इस प्रक्रिया के दौरान शरीर से 70 माइक्रोवाट प्रति सेमी2 पावर उत्पन्न की।
जूतों का कमाल
ह्यूसटन ‌स्थित राइस यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जूतों की मदद से मोबाइल चार्ज करने की तकनीक विकसित की है। चलने के दौरान जूतों से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को एकत्रित करके इसका इस्तेमाल आईफोन चार्जिंग में किया है। पेडीपावर नाम के जूते गति से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को एकत्रित करके मोबाइल चार्जिंग के लिए एनर्जी तैयार करते हैं। इस बात का निष्कर्ष पहले ही निकाला जा चुका है किसी कि भी व्यक्ति की एड़ी(हील) पैर के किसी भी हिस्से से ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करती है।

Hindi Kavita Poem on Love

Hindi Kavita Poem on Love
Hindi Love Kavita

वोह जमाना कुछ और था..
तेरा मेरा रिश्ता पुराना कुछ और था..
होमेवोर्क के बहाने ,
तुजसे मिलने का बहाना कुछ और था.

रिसेस में पराठो का चुपके से खिलाना
वोह मासूम याराना कुछ और था..
प्यार में दोस्ती. दोस्ती में प्यार..
लब्जो का वोह तराना कुछ और था..

एक अरसे बाद निकला था तेरी गली से
जो रोशन हुआ करती थी तेरी हसी से
कदम बस ठहर से गये
साँसे दो पल को जैसे थम सी गयी
फिर दिल को ये गुमान आया
वोह किस्सा पुराना कुछ और था

तेरा मेरा रिश्ता पुराना कुछ और था
वोह जमाना कुछ और था..वोह जमाना कुछ और था..

कर्फ्यू की चिंता

कर्फ्यू की चिंता 




कर्फ्यू की चिंता
सुना है दंगे भड़के है फिर
पुरे शहर में लगा है कर्फ्यू
नही पता दंगे के कारण का
चाहे जातिवाद हो या सम्‍प्रदायवाद
कारण से मुझे लेना देना भी नही
भूखे पेट को कारण से वास्‍ता भी नही
मुझे तो चिंता है कर्फ्यू  के लगने की
कर्फ्यू का नाम सुनते ही उड़ गए मेरे होश
काम गया, मजदूरी गयी, आज के दिन की
रोजाना काम की करता हूँ तलाश
काम के वेतन से लाता हूँ राशन
लेकिन आज वह भी नसीब नही
आज गैरहाजरी लगी मेरे रोजगार की

आज गैरहाजरी लगी हमारे खाने की
राशन लाता था रोजाना की कमाई से
बने खाने को खाते थे हम बॉंटकर
आज मेरा परिवार रहेगा भूखा
चिंता नही है भूखे काम पर जाने की
सोचता हूँ जितेजी चिंता मिटेगी क्‍या
चिंता आज भी है कल भी रहेगी
कल रहेगी चिंता भय की, असुरक्षा की
कल रहेगी चिंता जातिगत तनाव की
कल रहेगी चिंता मंदिर मस्जिद के झगड़े की
आज की चिंता है भूख से मरने की
कल की चिंता होगी मारे जाने के डर की
आज की चिंता है कर्फ्यू  के लगने की
कल की चिंता है कर्फ्यू  के हटने की.

बचपन भी गज़ब था

बचपन भी गज़ब था 
  
कोनों में चप्पलें पड़ीं थीं
रस्ते में बस्ता रखा
और टीवी के सामने हम
बचपन भी गज़ब अनूठा था ।
खाने में माँ के हाथ से बने पराँठे
और पापा कि डांट
जिसपे दादु के लाड प्यार की मलाई ने था बिगाड़ा
बचपन भी गज़ब स्वाद था ।
शाम का क्रिकेट मैच होता था
दोस्तों से नियमों को लेके लड़ाई
और दोस्तों को टीम में लेके होती जीत
बचपन भी गज़ब खेल था ।
देश और दुनिया कि खबरों से दूर
खुद की भी सुध न होती थी
जब होता था हिस्ट्री का एग्जाम सर पे
बचन भी गज़ब सिखाता था ।
अब इन सबकी हैं तो बस यादें
आज को कल की खबर नहीं
पर चिंता ज़रूर रहती है
बचपन भी गज़ब पुराना था ।

एक ही तो सपना था मेरा

एक ही तो सपना था मेरा 
  
एक ही तो सपना था मेरा
आज वो भी टूट गया
जबसे होश संभाला
एक तेरा ही हाथ थामा
हर मोड़ हर पड़ाव से माँगा
गर तू है मंजिल तो परवाह नही कितना है फासला
न जाने कब आ खड़ा हुआ में इस जगह
न जाने किस पल तेरा हाथ छूट गया
एक ही तो सपना था मेरा
आज वो भी टूट गया।।
हर कदम साथ चले
हर जन्नत साथ जिए
हर जीत हर हार
हर डोर हर तार
हर दिवाली हर पतंग
ईद हो या होली के रंग
न जाने कब किस्मत का सिक्का पलटा
न जाने किस पल तू मुझे भूल गया
एक ही तो सपना था मेरा
आज वो भी टूट गया।।
हर राह चुनी मैने तेरे साथ के लिए
अरसा बीत गया आज खुद के लिए कुछ किये
मेरा हर सवाल हर जवाब जुड़ा था तुझसे
अरसा बीत गया आज बात किये खुदसे
जब छुटा आज साथ तेरा
दिखा मुझे अक्स मेरा
न दुखी है मन न दिल पर कोई निशानी है
ये कहूँ आज तो झूठी कहानी है
मुझमे फर्क है सिर्फ लिबास का
आज भी सांस तुझसे ही आती है
तेरा ही नाम है हर नस में
धड़कन गीत तेरे ही गाती है
न जाने कब बीत गए ये बारह साल
न जाने किस पल सब कुछ लुट गया
एक ही तो सपना था मेरा
आज वो भी टूट गया।।

(हिंदी कविता) - टकला

टकला


रमेश भाई को जब तक हुए बाल बच्चे,
उन्के सर के एक भी बाल नही बचे,
कुछ बच्चे उन्हे टकला टकला कह कर चिढाते,
तो कुछ सर पे मार के भाग जाते ।

सारे मुहल्ले मे किस्सा मश्हुर था,
कि इन्के बाल यो ही नही उङॆ बल्की ऊङाए गये है,
बेचारे पत्नी द्वारा बहुत सताए गये है,
घर मे बीबी की डाट पडती,
दफ़्तर मे बॉस देता धमकी,
तुमसे मेरी बर्षॊ पुरानी यारी है,
वर्ना काम मांगाने वालो मे आधी लड़किय़ाँ कुवाँरी है ।

जब दाढी बनवाने सैलून जाते ,नाई भी ईन पर चिल्लाते,
ससुरजी भी कहते कि अगर तू शादी के पहले टकला हो जाता,
तो हमारे दहेज़ का खर्चा बच जाता,
जब वो बच्चो को स्कुल छोड़ने जाते ,
बच्चे ईन्हे अपना नौकर बताते,
भाई आज के फैशन और खुबसुरती के ज़माने मे गंजा होना श्राप है,
अब बच्चे कैसे बताँए कि टकला उन्का बाप है ।

एक सामाजिक संस्था तो यँहा तक कहती है,
हर टकले को शादी करने से रोका जाए ,
कहीं ऐसा ना हो यह बिमारी पीढी दर पीढी फैलते फैलते,
सारा संसार टकला हो जाये ।

ऊधर एक फिलोसोफर का कहना है ,
जिन्की सोंच गिरी हुई होती है उन्के बाल जल्दी गिर जाते है,
ऐसे पतीतो को गोली मार देनी चाहिये ,
मुझे आशचर्य है वे खुद शर्म से क्यों नही मर जाते है ।

एक बडा खुशनसीब नौजवान था मतवाला ,
सर पे थे सुन्दर बाल , साथ में सुन्दर बाला,
देख कर जोड़ी रमेश भाई ऐसे खो गये,
जैसे चलते चलते हीं सो गये,
जब बाला के बालों ने गुदगुदी मचाया,
खुद को लड़की से लिपटे पाया,
नौजवान बोला-अबे टकला हो कर लाईन मारता है,
क्यों टकला होना क्या अपराध है,
लगता है आज हीं गंजे तेरा होने वाला श्राध है ।

ईस पर रमेश भाई के खून में भी गर्मी आई,
बोले-अबे ओ खरबुजे,चुहिया के साथ नाच रहे चूजे,
भगवान करे तूझे कैंसर हो,तूझे कोढ हो जाये,
तेरे घर में आग लगे ,तूझ पर आतंकवादी का हमला हो जाए,
तू तबेले में जाकर मरे,
बच्चे तेरे सर पे तबला बजाएँ ,
जा मैं तुझे श्राप देता हूँ,
जल्द हीं तू भी मेरी तरह टकला हो जाए !!!!

वो कभी मिल जाएँ तो - Wo Kabhi Mil Jaaein To (Ghulam Ali)

वो कभी मिल जाएँ तो - Wo Kabhi Mil Jaaein To (Ghulam Ali)

Lyrics By:  अख्तर शीरानी      
Performed By: गुलाम अली  


वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिए 
रात दिन सूरत को देखा कीजिए 


चाँदनी रातों में इक-इक फूल को 
बे-खुदी कहती है सजदा कीजिए 
वो कभी मिल जाएँ  ……

जो तमन्ना बर न आए उम्र भर
उम्र भर उस की तमन्ना कीजिए 
वो कभी मिल जाएँ  ……

इश्क की रंगीनियों में डूब कर 

चाँदनी रातों में रोया कीजिए 
वो कभी मिल जाएँ  ……


पूछ बैठे है हमारा हाल वो 
बे-खुदी तू ही बता क्या कीजिए 
वो कभी मिल जाएँ  ……

हम ही उस के इश्क के काबिल न थे 

क्यूँ किसी जालिम का शिकवा कीजिए 
वो कभी मिल जाएँ  ……

आगे (गाने में नहीं है):

आप ही ने दर्द-ए-दिल बख्शा हमें 
आप ही इस का मुदावा कीजिए 
वो कभी मिल जाएँ  ……

कहते है 'अख़्तर' वो सुन कर मेरे शेर 

इस तरह हमको न रुसवा कीजिए 
वो कभी मिल जाएँ  ……