वो कभी मिल जाएँ तो - Wo Kabhi Mil Jaaein To (Ghulam Ali)
Lyrics By: अख्तर शीरानी
Performed By: गुलाम अली
वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिए
रात दिन सूरत को देखा कीजिए
चाँदनी रातों में इक-इक फूल को
बे-खुदी कहती है सजदा कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
जो तमन्ना बर न आए उम्र भर
उम्र भर उस की तमन्ना कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
इश्क की रंगीनियों में डूब कर
चाँदनी रातों में रोया कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
पूछ बैठे है हमारा हाल वो
बे-खुदी तू ही बता क्या कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
हम ही उस के इश्क के काबिल न थे
क्यूँ किसी जालिम का शिकवा कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
आगे (गाने में नहीं है):
आप ही ने दर्द-ए-दिल बख्शा हमें
आप ही इस का मुदावा कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
कहते है 'अख़्तर' वो सुन कर मेरे शेर
इस तरह हमको न रुसवा कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
Lyrics By: अख्तर शीरानी
Performed By: गुलाम अली
वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिए
रात दिन सूरत को देखा कीजिए
चाँदनी रातों में इक-इक फूल को
बे-खुदी कहती है सजदा कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
जो तमन्ना बर न आए उम्र भर
उम्र भर उस की तमन्ना कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
इश्क की रंगीनियों में डूब कर
चाँदनी रातों में रोया कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
पूछ बैठे है हमारा हाल वो
बे-खुदी तू ही बता क्या कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
हम ही उस के इश्क के काबिल न थे
क्यूँ किसी जालिम का शिकवा कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
आगे (गाने में नहीं है):
आप ही ने दर्द-ए-दिल बख्शा हमें
आप ही इस का मुदावा कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
कहते है 'अख़्तर' वो सुन कर मेरे शेर
इस तरह हमको न रुसवा कीजिए
वो कभी मिल जाएँ ……
No comments:
Post a Comment