Sunday 17 May 2015

शब्द ( WORDS )

शब्द
शब्द अंतर में आकार लेते हे
शब्द सब कुछ कह देते हे।
इन शब्दों का संसार निराला हे
कुछ धोला तो कुछ काला हे।
ये शब्द कभी लड़ा देते हे
कभी प्यार बढ़ा देते हे।
उलजने उलजती शब्दों से
उलजने सुलजति भी शब्दों से।
विकल हर्दय को बल देते
कभी असक्त बना देते हे।
हर भाव को शब्द अभिव्यक्त करते
कभी ये दूर कभी आसक्त करते।
यु तो ये जुबान से निकलते हे
होते असमर्थ तो आँखों से भी टपकते हे।
शब्दों का सामर्थ्य अनंत होता हे
इनके साथ कोई हँसता कोई रोता हे।
शब्दों के साधक नायक बन जाते हे
इनसे अनजान खलनायक बन जाते हे।
भाषाओ का संसार शब्दों से चलता हे
तडपते कवि बिरहन का जैसे मन मचलता हे।
प्यार भरे शब्दों से सब पास आ जाते हे
सचमुच, सटीक शब्दों से सब काम बन जाते हे।

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