Sunday 26 April 2015

देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा

देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा 

कुछ पल जगजीत सिंह के नाम 

देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा,
खुद से न मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा,

उसका जो खत मिला तो मुझे सोचना पड़ा,
अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा,

मुझको था गुमान के मुझी में है एक अना,
देखा तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा,

दुनिया समझ रही थी के नाराज मुझसे है,
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा,

एक दिन वो मेरे एब गिनाने लगा करार,
जब खुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा,

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