कुछ पल जगजीत सिंह के नाम
धुप है क्या और साया क्या
धुप है क्या और साया क्या है अब मालूम हुआ ,
ये सब खेल तमाशा क्या है अब मालूम हुआ ,
हँसते फूल का चेहरा देखूं और भर आई आँख ,
अपने साथ ये किस्सा क्या है अब मालूम हुआ ,
हम बरसों के बाद भी उनको अब तक भूल न पाए ,
दिल से उनका रिश्ता क्या है अब मालूम हुआ ,
सेहरा सेहरा प्यासे भटके सारी उम्र जले ,
बादल का इक टुकड़ा क्या है अब मालूम हुआ ....
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