Wednesday 29 April 2015

एक दिन बिक जाएगा - Ek Din Bik Jaega (Mukesh)

एक दिन बिक जाएगा - Ek Din Bik Jaega (Mukesh)

Movie/Album: धरम करम (1975)
Music By:  आर. डी. बर्मन 
Lyrics By:  मजरूह सुल्तानपुरी 
Performed By: मुकेश

इक दिन बिक जायेगा , माटी के मोल
जग में रह जाएंगे , प्यारे तेरे बोल 
दूजे के होंठो को , देकर अपने गीत 
कोई निशानी छोड़ , फिर दुनिया से डोल 
इक दिन बिक ....  

अनहोनी पथ में काँटे लाख बिछाए
होनी तो फिर भी बिछड़ा यार मिलाए 
ये बिरहा , ये दूरी ,  दो पल की मज़बूरी 
फिर कोई दिलवाला काहे को घबराये 
धारा तो बहती है, बहके रहती है 
बहती धारा बन जा , फिर दुनिया से डोल
इक दिन बिक ....  


परदे के पीछे बैठी साँवली गोरी  
थाम के तेरे मेरे , मन की डोरी 
ये डोरी ना  छूटे , ये बन्धन ना  टूटे 
भोर होने वाली है अब रैना है थोड़ी 
सर को झुकाए तू , बैठा क्या है यार 
गोरी से नैना जोड़ , फिर दुनिया से डोल
इक दिन बिक ....  





No comments: