कोनों में चप्पलें पड़ीं थीं
रस्ते में बस्ता रखा
और टीवी के सामने हम
बचपन भी गज़ब अनूठा था ।
खाने में माँ के हाथ से बने पराँठे
और पापा कि डांट
जिसपे दादु के लाड प्यार की मलाई ने था बिगाड़ा
बचपन भी गज़ब स्वाद था ।
शाम का क्रिकेट मैच होता था
दोस्तों से नियमों को लेके लड़ाई
और दोस्तों को टीम में लेके होती जीत
बचपन भी गज़ब खेल था ।
देश और दुनिया कि खबरों से दूर
खुद की भी सुध न होती थी
जब होता था हिस्ट्री का एग्जाम सर पे
बचन भी गज़ब सिखाता था ।
अब इन सबकी हैं तो बस यादें
आज को कल की खबर नहीं
पर चिंता ज़रूर रहती है
बचपन भी गज़ब पुराना था ।